Uttar Pradesh Agra : देवी श्री नारायणी शोभायात्रा 2025: 51 झांकियों के साथ भक्ति और एकजुटता का अद्भुत संगम
आगरा (जिला ब्यूरो – नरेश कुमार की रिपोर्ट):
आगरा में 3 सितंबर 2025 को मां नारायणी देवी की 27वीं भव्य शोभायात्रा अद्वितीय छटा बिखेरते हुए हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी। बैंड-बाजों की मधुर धुनों, भजनों की स्वर लहरियों और पुष्प वर्षा से सजी इस यात्रा में 51 झांकियों ने श्रद्धालुओं को भक्ति और संस्कृति से सराबोर कर दिया।
🚩 भव्य शुरुआत
शोभायात्रा की शुरुआत यमुना किनारा स्थित मां कामाख्या देवी मंदिर से हुई।
जिला पंचायत अध्यक्ष मंजू भदौरिया, विधायक डॉ. जी.एस. धर्मेश और समाजसेवी सोनू शर्मा ने आरती कर शुभारंभ किया।
यात्रा में सबसे आगे विघ्नहर्ता गणेशजी की झांकी और राधा-कृष्ण स्वरूपों का नृत्य सभी का आकर्षण रहा।
🙏 संस्कृति और संस्कार का संदेश
शोभायात्रा संयोजक पवन सिंह ने बताया कि शुक्ल पक्ष की एकादशी पर यह यात्रा पिछले 26 वर्षों से निरंतर निकाली जा रही है। इसका उद्देश्य बच्चों को संस्कारवान बनाना और भारतीय संस्कृति से जोड़ना है।
🌟 शोभायात्रा का मार्ग
यात्रा का मार्ग था –
कामाख्या देवी मंदिर (हाथी घाट) → दरेसी → सुभाष बाजार → रावतपाड़ा → छत्ता बाजार → कचहरी घाट → बेलनगंज → घटिया आज़म खां → फुलट्टी बाजार → मोती कटरा (सत्यनारायण नारायणी देवी मंदिर)
रास्तेभर श्रद्धालुओं ने 18 से अधिक स्थानों पर पुष्पवर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया।
🎭 प्रमुख झांकियां
शोभायात्रा में 51 झांकियां शामिल हुईं, जिनमें मुख्य आकर्षण रहे –
- गणेशजी की झांकी
- अष्टभुजी मां दुर्गा
- श्री बांके बिहारी
- मां नारायणी स्वरूप
- खाटू श्याम बाबा
- अर्धनारीश्वर
- शिव परिवार
- हनुमानजी
- राधा-कृष्ण की झांकी
- सेन महाराज और ऑपरेशन सिंदूर झांकी
- भारत रत्न कपूरी ठाकुर की झांकी

🏅 सम्मान और समापन
शोभायात्रा के समापन पर वृद्धजनों और सविता सेन समाज के कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया।
इस अवसर पर मौजूद रहे –
संरक्षक पार्षद अरविंद मथुरिया, पार्षद शेर सिंह, संयोजक सतीश कुमार, महामंत्री संजीव मथुरिया, कोषाध्यक्ष कुलदीप सविता, मेला अध्यक्ष राजू ठाकुर, व्यवस्थापक जितेंद्र सविता, गौरव नंद, विजेंद्र सिंह, अतुल ठाकुर, सौरभ सविता, जगदीश नारायण, लाल बहादुर, अंगेशं वर्मा, विकास और रंजीत आदि।
🌸 निष्कर्ष
आगरा की श्री नारायणी देवी शोभायात्रा 2025 न केवल आस्था और भक्ति का प्रतीक बनी, बल्कि इसने समाज में एकजुटता, संस्कृति और संस्कारों के संवर्धन का संदेश भी दिया।
